about dipression




मुझे कभी डिप्रेशन (अवसाद) नहीं हुआ. लेकिन मुझे एनजाइटी का सामना करना पड़ा था. ( कई साल पहले जब मैं बच्ची थी, तो डॉक्टरी जांच में मुझमें एनजाइटी डिसअॉर्डर पाया गया था.) आज ये एक कभी-कभार होने वाली बीमारी की तरह है. और जब कभी ये पलट कर आती है, तो मैं अच्छी तरह से इसका सामना कर पाती हूं और आहिस्ता से इससे पार पा लेती हूं.
मनोवैज्ञानिक बीमारियों में खास बात ये है कि ये जड़ से कभी नहीं खत्म होतीं. जब आप इनकी बिल्कुल उम्मीद नहीं करते, ये लौट आती हैं और आपको फिर से इनके साथ रहमदिली, हमदर्दी और कई बार दवाओं का सहारा लेकर लड़ना होता है.
लोग कई बार बहस करते हैं कि हम इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते या इसके बारे में ज्यादा जागरूकता नहीं है. लेकिन मान लीजिए कि आप इसके बारे में जागरूक हैं और इसके बारे में जो कुछ भी लिखा गया है, सब पढ़ लिया है, तो सोचिए कि आप पूरी तरह तैयार हैं...
तो क्या आप सचमुच तैयार हैं उस शख्स से प्रेम करने के लिए, जो डिप्रेशन का शिकार है?
हो सकता है, आप आज जिस शख्स से पागलों-दीवानों की तरह इश्क करते हैं, उसमें दुनिया की सारी खूबसूरती है और वह डिप्रेशन का भी शिकार है. यह उसकी पूरी शख्सियत नहीं है, लेकिन शख्सियत का हिस्सा है.
ऐसे में आप जानना चाहेंगे कि अपने प्रियतम के साथ कैसे पेश आएं. इसके लिए आगे बताए गए बिंदु मेरे खुद के तजुर्बे का हिस्सा हैं और उन दोस्तों से की गई बातचीत से निकले नतीजे हैं, जो जानते हैं कि इस अंधेरी सुरंग से गुजरते हुए कैसा महसूस होता है. शायद ये आपके लिए कुछ मददगार साबित हो सकें:

डिप्रेस्ड महसूस करना और डिप्रेशन का शिकार होना एक ही चीज नहीं है

मैं ये तनाव और नहीं झेल सकता/सकती. मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि आपने मैनुअल का ये हिस्सा पढ़ लिया होगा और जानते होंगे कि ये कहना बिल्कुल और बिल्कुल ही सही नहीं है, "क्या तुम डिप्रेस्ड हो? ओह, मैं भी इस हालत से गुजरा/गुजरी हूं. पिछली बार जब मेरी बिल्ली मर गई...." नहीं, कतई नहीं. आप किसी भी वजह से खारिज किए जाने से मैलान्कोलिक- यहां तक कि डिप्रेस्ड भी हो सकते हैं, लेकिन डिप्रेस्ड होना और डॉक्टरी जांच के बाद डिप्रेशन की बीमारी का पता चलना, दोनों एकदम जुदा चीजें हैं. उसके दर्द को और न बढ़ाएं. खुद को शिक्षित करें और समझें कि आपका सामना किस चीज से है.


कभी न कहें ‘करना चाहिए’


आप जान जाइये कि मानसिक बीमारी का सामना करते समय जिस शब्द का सबसे धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है, वह है- करना चाहिए.
एक अज्ञानी शख्स उससे कहेगा, "तुम्हें इससे निकलना चाहिए", "तुम्हें ज्यादा बाहर निकलना चाहिए", "तुम्हें रोना बंद करना चाहिए..." मेरा क्या जवाब होना चाहिए, ''इतने असंवेदनशील मत बनो?''
डिप्रेशन का सामना करे चुके एक मित्र ने बताया था:
ऐसा कभी न कहें, “तुम्हारा मिजाज बहुत चिड़चिड़ा है” या 
“मुझे तुम्हारी हर पल बदलती फितरत समझ में नहीं आती.”
 डिप्रेशन के शिकार शख्स को पहले से पता होता है कि उसका व्यवहार बहुत अटपटा है. इसके अहसास के साथ जीना बहुत मुश्किल होता है. आप खुद नहीं जानते कि पूरे दिन ढेर सारी मनपसंद चीजें खरीदने के बाद आप क्यों जार-जार रोने लगते हैं.




उन्हें अहसास दिलाएं कि वो कितने खास हैं

वह पहले ही बहुत सी मुश्किलों से जूझ रहे हैं. वह अपने बेवजह रोने, मूड में उतार-चढ़ाव की कोई कैफियत नहीं दे पाते . लगातार लाचारगी का अहसास. अपनी इनजाइटी की चरम अवस्था में मैं हर उस बात के लिए भी खुद को जिम्मेदार ठहराने लगी थी, जिसमें मेरी कोई गलती नहीं थी. मैंने नतीजा निकाला कि मैं लोगों (भले ही वह कितने करीबी हों) पर बोझ हूं. मेरे न रहने से वह ज्‍यादा अच्छे रहेंगे.
इसमें कोई शक नहीं है कि दो लोग एक जैसे नहीं हो सकते, न ही दो लोगों की बीमारियां. लेकिन एक चीज समान है कि उन्हें आपके निश्छल प्यार की जरूरत है. अगर वो कहते हैं कि वो नाकाम हैं, तो आप कहिये, "बौरा गए/गई हो? देखो ये कितना सब तुमने किया है." (यहां उनके किए प्रशंसनीय कामों की लिस्ट अपने हिसाब से तैयार कर सकते हैं.) जब उन्हें अहसास हो कि उन्हें कोई प्यार नहीं करता, तो उनकी बाहें थामकर कहें, "तुम ऐसी/ऐसे नहीं हो. तुम्हें मैं प्यार करता/ करती हूं."

मस्ती करें


क्या मस्ती की बात करना आपको पहले कही गई बातों के उलट लगती है? ठहरिये! मैं समझाती हूं. हां, एक डिप्रेस्ड शख्स के लिए आपके कहे मुताबिक चल पड़ना मुश्किल होगा. किसी होटल में खाना खाने जाने या कोई कंसर्ट जाने को आप उतावले हो रहे होंगे और वो इसे कैंसिल कर देगा. गुस्सा मत कीजिये. उसे समझने की कोशिश कीजिये.
इसके साथ ही अगर वह आपसे बेवक्त बात करना चाहे या बाहर जाने को कहे, तो भले ही ये खीज करने वाली बात है. इस पर अचंभा मत जताइये. अगर आप उन्हें सचमुच प्यार करते हैं, तो आपको इसे फौरन मान लेना चाहिए. आप उसके लिए कुछ और भी कर सकते हैं. उसकी जिंदगी में कुछ मजा लाएं.
जैसा कि डिप्रेशन से गुजर चुकी एक दोस्त ने बताया:
मेरे मंगेतर मुझे अपने साथ बाहर ले गए, मेरे साथ शतरंज खेला, मेरी कामयाबियों के लिए मेरी तारीफ की और बताया कि मैं कितनी खास थी. मेरा ख्याल है कि हममें से हर एक को यह बात ध्यान रखनी चाहिए.

अपना ख्याल रखना

आपको यह करना होगा. जी हां, आपके प्रियतम को आपकी जरूरत है और आप भी इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहते. लेकिन कभी-कभी कुछ दूसरे कामों को करने में भी अपराध बोध न पालें. जरा सोचिये: जब वो ठीक महसूस करने लगेगी/लगेगा, तो आपकी दूसरी ख्वाहिशों में कटौती के लिए क्या उसे अपराधबोध नहीं होगा?
और बताऊं? खुद के बारे में बातें करने और उन्हें अपनी उपलब्धियां बताने में संकोच न करें. मेरी बात पर भरोसा कीजिये: वो बिल्कुल जानना चाहते/चाहती हैं. आपका रिश्ता आपके प्रियतम के डिप्रेशन के ही इर्द-गिर्द नहीं घूमता- जिंदगी में और भी बहुत कुछ है. अगर इनसे आप उन्हें रूबरू नहीं कराते, तो और कौन कराएगा?


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