यहाँ दफन हैं अजीबों-गरीब प्रेम कहानियां !

फ़रवरी के बसंती महीने को पूरी दुनिया में इश्क़ करने वालों के लिए जाना जाता है। ये वो महीना होता है जब उल्फत अपने परवान पर होती है। जिनके पास कोई साथी होता है वो हफ़्ते पहले से इस दिन को मनाने की तैयारियों में लग जाते है। वहीं जो अकेले होते हैं वो इस दिन बड़ी उम्मीद से किसी से इज़हारे मोहब्बत कर एक नए रिश्ते का आगाज़ करते हैं।
हालाँकि भारत में वैलेंटाइन्स डे मनाने का चलन ज्यादा पुराना नहीं है लेकिन अगर बात भारत की प्रेम कहानियों कि की जाए तो यहाँ इश्क से जुड़े अफसानों की कोई कमी नहीं है। आइये जाने भारत की ऐसी कुछ जगहों के बारे में जहाँ आप बस द्वारा आसानी से पहुँच सकते हैं एवं जहाँ से जुड़े किस्सें आपको मोहब्बत की एक अलग ही कहानी सुनाते हैं।
तोतामैना की मज़ार, संभल
उत्तर प्रदेश के जिला संभल में शहर के पास के जंगल में एक बहुत पुरानी कब्र है। बताया जाता है कि ये कब्र एक तोता-मैना के जोड़ें की है। स्थानीय जानकार इससे जुड़ी अलग-अलग कहानियां सुनाते हैं उसमें से एक कहानी पृथ्वीराज चौहान से जुड़ी है स्थानीय लोगों के अनुसार सैकड़ों सालों पहले इस जंगल में प्रेमी तोता-मैना का एक जोड़ा रहता था। पृथ्वीराज चौहान जब भी यहाँ आते तब घंटों अपना वक़्त इस जोड़ें को देखने में बिताते थे उन्हें दाना डालते उनके साथ खेलते थे। फिर जब एक दिन दोनों तोता-मैना मर गये तो पृथ्वीराज चौहान ने उनकी याद में वहाँ जंगल में एक ईमारत बनाकर उसमें तोता-मैना की एक कब्र बनवा दी। कब्र पर एक ख़ास भाषा में कुछ लिखा भी है जिसे आज तक कोई भी पढ़ नहीं पाया।
वहीं इस कब्र की सच्चाई जानने के लिए एक बार इसकी खुदाई भी की गई थी। मगर काफी गहराई तक खोदने के बाद भी इससे जुड़ा कोई प्रमाण नहीं मिल पाया। बाद में भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसे अपने संरक्षण में ले लिया। जिस ईमारत में ये कब्र बनी हुई है उसे भी एतिहासिक घोषित किया जा चुका है। हालाँकि ऐसा अक्सर सुनने को आता है कि आज भी उस कब्र की देखभाल सही तरीके से नहीं हो पा रही है।  वरना ये एक अच्छा पर्यटन स्थल हो सकता है।
लैला मजनूं की कब्रश्रीगंगानगर
इतिहास पर गौर करें तो वहाँ लैला-मजनू के बारे में जो जानकारी उपलब्ध है वो उन्हें भारत से कोसों दूर अरब का बताते हैं। मगर राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में पाकिस्तान की सरहद के पास एक मज़ार है जिसे स्थानीय लोग लैला-मजनू की मज़ार बताते हैं। किवंदतियों के अनुसार प्यार में विफल होने के बाद दोनों ने उसी स्थान पर अपनी जान दी थी।
इस मज़ार पर हिन्दू-मुस्लिम दोनों की आस्था देखने को मिलती है कारगिल के युद्ध से पहले पाकिस्तानी श्रधालु भी यहाँ आया करते थे मगर अब ये सुविधा बंद है। हर साल जून के महीने में यहाँ 5 दिनों का मेला भी लगता है जिसमें बड़ी संख्या में युवक-युवतियां शामिल होते हैं। गौरतलब है की यहाँ स्थित भारतीय फौज ने भी अपनी चौकी का नाम मजनू चौकी रखा हुआ है।
सिगरेट बाबा मज़ारलखनऊ
मन्नत पूरी करने के लिए किसी की कब्र पर चादर, फूल माला, अगरबत्ती आदि चढ़ाने की बातें तो आम हैं। मगर एक ब्रिटिश सैनिक की कब्र पर जलती हुई सिगरेट चढ़ाना, किसी को भी सोचने पर मजबूर कर सकता है कि आखिर मसला क्या है। दरअसल लखनऊ के मूसाबाग इलाके में स्थित एक ब्रिटिश सैनिक की कब्र पर मन्नत माँगने वाले और सिगरेट चढाने वाले ज़्यादातर लोग प्रेमी जोड़े या नव विवाहित लोग होते हैं। गौरतलब है कि ये कब्र एक इसाई फेडरिक वेल की है।
जबकि यहाँ आने वाले सभी लोग सभी धर्मों के होते हैं। इस स्थान के बारे में मान्यता है कि अगर किसी भी प्रेमी जोड़े को अपने रिश्ते को लेकर किसी प्रकार की कोई परेशानी होती है तो वो यहाँ दुआ मांगता तो उसकी मन्नत पूरी हो जाती है। फेडरिक वेल एक ब्रिटिश सैनिक था जो 1858 में एक लड़ाई के दौरान मारा गया।
हालाँकि उनकी मजार क्यों और किसने बनवाई साथ ही फेडरिक वेल का इस प्यार मोहब्बत वाली मान्यता से क्या लेना देना है इसकी कहानी यहाँ आने वाले किसी भी शख्स को नहीं मालूम, मगर ये उनका विश्वास ही है कि यहाँ आने से उनकी प्रेम संबंधी समस्याएँ ख़त्म हो जाती। शायद इसलिए लोग यहाँ मन्नत मागने आते हैं गुरुवार को तो यहाँ खासी भीड़ देखी जाती है। आप बस द्वारा आसानी से यहाँ आ सकते हैं।

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